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Harshita Belwal

Drama Inspirational

3  

Harshita Belwal

Drama Inspirational

हर ज़र्रा सॉंस लेता है

हर ज़र्रा सॉंस लेता है

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ख्वाबों की माला,

ऑंखों में पिरोकर तो देखो,

हर ख्वाहिश को,

सॉंचे में ढालकर तो देखो।


रूठती हुई संवेदनाओं को,

मनाकर तो देखो

मन में लहलहाती,

भावनाओं में बहकर तो देखो,

देखो, हर ज़र्रा सॉंस लेता है,

हर ज़र्रा कुछ कहता है।


नैनों में बंधे ऑंसुओं को,

खोलकर तो देखो,

होंठों में दबी खुशी,

बयॉं करके तो देखो।


उड़ती रंगीन तितलियों को,

छूकर तो देखो

बसंत में फूलों की,

महक लेकर तो देखो,

देखो, हर ज़र्रा सॉंस लेता है,

हर ज़र्रा कुछ कहता है।


प्रेम की फ़िज़ाओं में,

खोकर तो देखो,

उतरती रंगीनियों में,

जीकर तो देखो।


इंद्रधनुष को जीवन में,

घोलकर तो देखो

कोयल के सुरों का,

रस पीकर तो देखो,

देखो, हर ज़र्रा सॉंस लेता है,

हर ज़र्रा कुछ कहता है।


कबूतर को गालों से,

सहलाकर तो देखो

दूर आसमान बेहिचक,

उड़कर को देखो।


हर स्वर में संगीत है,

सुनकर तो देखो,

पत्थर भी हीरा है,

तराशकर तो देखो,

देखो, हर ज़र्रा सॉंस लेता है,

हर ज़र्रा कुछ कहता है।


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