एक सवाल
एक सवाल
कभी जो तन्हाई में,
सिरहाने सि,र
रखकर सोचता हूँ,
किस्सा अपनी मोहब्बत का,
तो एक सवाल,
दिल को भेद जाता है।
जाने क्या दिया ज़िन्दगी को,
इस लड़कपन्न के प्यार ने,
वो सर्द के मौसम की,
पहली धूप की तरह,
चाहत दे जाने वाले यार ने।
यूँ तो लोग कहतें हैं,
साथ छोड़ दिया,
यार तेरे प्यार ने,
पर हम जो वाकिफ़ थे,
उनके हालात से,
ख़बर है हमें,
सिर्फ हम नहीं वो भी,
जीते थे हमारे इंतज़ार में।
हो सकता है हम,
मिलें न फिर कभी,
मिलें भी तो बस,
करीब से गुज़र जाएँ यूँ ही।
चाहत हो दिल में,
की देख लें तुम्हें एक बार,
पर ये नज़रें बस,
झुकी रह जाएँ यूँ ही।
फिर जो तुम,
निकल जाओ कुछ दूर,
तो ये मन क्यों,
बेचैन हो जाये।
शायद नज़र उठाकर,
देखा होगा तूने मुझे,
ये खुशफहमी दिल को,
सुकून दे जाए।
और जब तुमसे फासले बढ़ जाएँ,
ये कम्बख्त दिल,
फिर से औक़ात पर आये।
फिर एक,
गुजारिश करे मुझसे,
कि अगली बार गुजरो,
जब तुम इतने करीब से,
दरकिनार कर,
सारी बातों को,
हम तुम्हें इशारों,
से यूँ ही रोक लें,
और ये वक़्त भी,
वहीँ थम जाए।
पर अब जब मैंने,
संभाल लिया है खुद को,
सवाल फिर भी ये,
क्यों कुरेदता है मुझको।
क्या दिया है इस,
लड़कपन के प्यार ने ?
वो तेरे इजहार पर,
इकरार दे जाने वाले यार ने।
तो मैं भी अब यूँ ही,
मुस्कुराकर कहता हूँ,
इस प्यार ने मुझे,
जीना सीखा दिया।
हर नाकाम कोशिश पर,
एक और कोशिश करना,
और उस आख़िरी कोशिश को,
आखिर तक दोहराना,
वहीं से तो सीखा है मैंने।
हर वो मुस्कराहट जो,
बढ़ा देती थी हौसला मेरा,
उस मुस्कराहट के बिना,
यहाँ तक आ जाना,
ये सब वहीं से तो सीखा है मैंने।
कभी-कभी इशारो,
में कुछ कह जाना,
तो कभी बिन कहे,
किसी को समझ पाना।
अपने गम को,
ताक़ पर रखकर,
दूसरों की ख़ुशी में मुस्कुराना,
हाँ सब, ये सब,
वहीं से तो सीखा है मैंने।
लोग कहतें हैं भूल जाओ,
उन यादों को,
जो तुम्हें रुला जातीं हैं,
पर तुम्हारी याद तो मुझे,
मुस्कुराने की वजह दे जाती है।
हाँ हो सकता है हँसी,
बिखेरकर वो पलकें,
भी नम कर जातीं हैं।
पर वो नम पलकें भी,
तो इसी बात का,
एहसास कराती हैं
कि किसी इंसान की,
वजह से ज़िन्दगी,
रुक नहीं जाती है।