मेरी आँखों में बसंत
मेरी आँखों में बसंत
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उसने अपने जूड़े में
चमेली की
कुछ कलियाँ बाँधी
अपनी आँखों को आँजा
माथे पर
लाल रंग की
बिंदी सजाई
चटख हरे रंग की
साड़ी पहनी
कानों मे
सुनहरे झुमके लटकाए
वह मेरे सामने थी
सहसा मौसम
बदल गया है ज्यों
मेरी आँखों में
बसंत उतर
आया था ।
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