STORYMIRROR

Vikrant Kumar

Romance

3  

Vikrant Kumar

Romance

चाहत मेरी...

चाहत मेरी...

1 min
175

निर्झर से निरंतर बहती जलधारा से केशु,

उगते रवि की स्वर्णिम लालिमा लिए प्रफुल्लित लाल कपोल तेरे।


बरबस खींचते सुंदर मृग नयन,

शांत व्योम में तड़ित सी उज्ज्वल मुस्कान तेरी।


पूर्णिमा के गोल चाँद सी मोहिनी सूरत ,

अपलक निहारूं उपवन से मुख को ये छोटी सी चाहत मेरी ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance