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Vikrant Kumar

Inspirational

4  

Vikrant Kumar

Inspirational

मेरे पापा

मेरे पापा

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4

बचपन की अठखेलियों में,
दोस्त बन साथ निभाने वाले,

गलती पर सुधार वाली,
मिठ्ठी फटकार लगाने वाले,

बाधाओं की तपती धूप में,
बरगद सी ठंडी छाव देने वाले,

खिलौनों से लेकर किताबों तक,
हर सामान की दुकान लगाने वाले,

करते हर काम वो नियत समय पर,
समय की पाबंदी का पाठ पढ़ाने वाले,

ग़लत का देते जवाब तसल्ली से,
स्वाभिमान का भाव जगाने वाले,

ईमानदारी और धार्मिकता का,
अपने कर्म से मिशाल देने वाले,
 
विकट परिस्थितियों में भी चहरे पे,
होंसले की मीठी मुस्कान देने वाले,

विचलित होते बच्चों के मन को,
हिम्मत की थपकार देने वाले,

माँ अगर होती है ममता की छाँव तो,
पापा है स्नेह का आसमान देने वाले,

मेरा मान, मेरा अभिमान जिनसे है,
वो मुझे अपनी पहचान देने वाले,

बनाना चाहूँ मैं भी जिनके जैसा,
मुझे गर्व की अनुभूति करवाने वाले,

वो है मेरे पापा....
जी हां वो है मेरे पापा।


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