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Vikrant Kumar

Romance

4  

Vikrant Kumar

Romance

तुझसे ही खुश रहता दिल...

तुझसे ही खुश रहता दिल...

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तुझसे ही खुश रहता दिल,

तुझसे ही नाराज भी है।


तुझसे ही खुशियां सारी,

तुझसे दर्द का आगाज भी है।


तुझसे ही सब सपने मेरे,

तुझसे मेरी दुनिया आबाद भी है।


तुझसे ही बहती प्यार की समीर,

 तुझसे ही विरह का तूफान भी है।


तुझसे ही चेहरे पे मुस्कान,

आँसुओं की हुई बरसात भी है।


तुझसे ही लबों पे बातें मेरे,

मौन की फिर शुरुआत भी है।


तुझसे ही खुश रहता दिल,

तुझसे ही नाराज भी है।



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