सक्रांति आई
सक्रांति आई
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ये काटा वो उड़ाई
जब छत से दे सुनाई,
समझ लो सक्रांति आई।
चूल्हे पर जब चढ़े कढ़ाई और
बड़े पकौड़ो की सुगन्ध जो आई,
तो समझ लो सक्रांति आई।
खेतों में जब फसलें लहराई
किसान मन में खुशियां छाई,
तो समझ लो सक्रांति आई।
सूर्य ने किया मकर में प्रवेश
मौसम भी लेने लगा अँगड़ाई,
तो समझ लो सक्रांति आई।