Vikrant Kumar

Others

4.5  

Vikrant Kumar

Others

सक्रांति आई

सक्रांति आई

1 min
313


ये काटा वो उड़ाई

जब छत से दे सुनाई,

समझ लो सक्रांति आई।


चूल्हे पर जब चढ़े कढ़ाई और

बड़े पकौड़ो की सुगन्ध जो आई,

तो समझ लो सक्रांति आई।


खेतों में जब फसलें लहराई

किसान मन में खुशियां छाई,

तो समझ लो सक्रांति आई।


सूर्य ने किया मकर में प्रवेश

मौसम भी लेने लगा अँगड़ाई,

तो समझ लो सक्रांति आई।



Rate this content
Log in