इस जहाँ में निर्भीक बनो तुम सर्वत्र तुम्हारी जय हो, इस जहाँ में निर्भीक बनो तुम सर्वत्र तुम्हारी जय हो,
अपनी बात खुलकर रखने में वो नि: संकोच ही सचमुच वीर है । अपनी बात खुलकर रखने में वो नि: संकोच ही सचमुच वीर है ।
चिंतक बैठा सिर धुनता, झूठ ही झूठ में जियें कैसे ? चिंतक बैठा सिर धुनता, झूठ ही झूठ में जियें कैसे ?
किसी भी आलोचना से बेफ़िक्र, किसी भी बाधा से निर्भीक। किसी भी आलोचना से बेफ़िक्र, किसी भी बाधा से निर्भीक।
निराश-हताश जीवन मे, ये आशा की उम्मीद है ये हार को बनाती जीत है अनेक रिश्तों को सजाती, ये हर रिश्... निराश-हताश जीवन मे, ये आशा की उम्मीद है ये हार को बनाती जीत है अनेक रिश्तों क...