अपनी बात खुलकर रखने में वो नि: संकोच ही सचमुच वीर है । अपनी बात खुलकर रखने में वो नि: संकोच ही सचमुच वीर है ।
जग के बंधन तोड़ के आज, मन से मन को मिल जाने दो जग के बंधन तोड़ के आज, मन से मन को मिल जाने दो
धन न्योछावर कर रहे हैं जन को बचाने के लिए, हम उनको वर्तमान के हर्ष वर्धन कहे। धन न्योछावर कर रहे हैं जन को बचाने के लिए, हम उनको वर्तमान के हर्ष वर्धन कहे।
माथे की बिंदिया ही नही, पायल की झंकार तुम्हीं से है माथे की बिंदिया ही नही, पायल की झंकार तुम्हीं से है