मैं बिखरा तिनका तिनका सा
मैं बिखरा तिनका तिनका सा
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माथे की बिंदिया ही नहीं, पायल की झंकार तुम्हींं से है।
निर्मल कितनी प्रीत तुम्हारी, हर श्रृंगार तुम्हीं से है।।
नहीं कल्पना मुझको कोई, तेरे विरह में रहने की।
इक छण भी मेरा तुमसे ही, मेरा संसार तुम्हीं से है।।
हृदय-वेदना तुम न जानो, पीर न जानो मन की तुम।
क्या गीत न पहुंचे तुम तक मेरे, क्या भाव न जानो इनका तुम।।
तेरे प्रेम की आंधी में, कितनी जानें बिखर गईं।
मैं बिखरा तिनका तिनका सा, मोल ना जानो जिनका तुम।।