STORYMIRROR

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

4  

Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

नारी बड़ी निर्भीक है

नारी बड़ी निर्भीक है

1 min
273

शक्ति का प्रतीक है

भक्ति का गीत है

नारी बड़ी निर्भीक है


क्यों कहते इसे अबला,

निर्जीव करती, सजीव है

नव जीवन देती नित है

कभी मां, कभी बहन,

बनाती जीवन पुनीत है

नारी बड़ी निर्भीक है


निराश-हताश जीवन मे,

ये आशा की उम्मीद है

ये हार को बनाती जीत है

अनेक रिश्तों को सजाती,

ये हर रिश्ते की नींव है

पाषण बने जीवन मे,

जिंदगी को देती प्रीत है

नारी बड़ी निर्भीक है


जो करते नारी आदर,

वो पाते खुशी नीर है

जो करते नारी निरादर,

वो पाते गम के नीर है

नारी प्रकृति का रूप है,

जीवन बनाती रमणीक है

नारी बड़ी निर्भीक है


जहां इसे सम्मान मिलता,

स्वर्ग-तुल्य बनती तस्वीर है

नारी बिना, ये जीवन साखी,

बिना आनंद की जंजीर है

नारी बड़ी निर्भीक है


इसे मत समझो कमजोर

ये मां अम्बे की शमशीर है

पर आज नारी खो बैठी,

खुद की लोह तस्वीर है

वो यूँही बैठी गम्भीर है

उसके पास लक्ष्मीबाई का,

अंग्रेजो को मारनेवाला तीर है

मौत के मुँह से बाहर लाती,

ये मां सावित्री का चिर है

नारी मिटाती तिमिर है

ज्योति-पुंज गम्भीर है

पति को देती सीस निशानी,

खोलते हुए खून की सीर है

नारी बड़ी निर्भीक है


भक्ति की अमिट

मीराबाई की पीर है

अग्नि जोहर करनेवाली,

पद्मिनी की समीर है

खुद्दारी के लिये,

कभी न बेचती जमीर है

याद रखो हिंद नारी,

मौत को भी देती चीर है


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational