जवाब
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हर जवाब मिलता है,
अगर ठहरना सीख जाओ,
सब्र से खुदको परखो,
ना की बेवजह की असमंजश में,
दिन रात खुदको जकड़ो।
ईमानदारी ज़रूरी है,
खुदकी खुदसे,
जवाबदारी ज़रूरी है,
खुद की खुद से।
घबराओ मत विडम्बना से,
दो पहलू हैं मन के,
एक का चयन करना होगा,
ढृंढ़ निश्चयी होकर,
किसी भी आलोचना से बेफ़िक्र,
किसी भी बाधा से निर्भीक।