STORYMIRROR

Pradeepti Sharma

Inspirational

3  

Pradeepti Sharma

Inspirational

इन्साफ

इन्साफ

1 min
206

कुछ ऐसा सूरत -ए -हाल है इंसाफ़ का,

सच के पैरों में बावाईयाँ पड़ गई,

दलीले, सवालातों के काँटों पर चलकर,


और, कटघरे में गुनहगार की तरह खड़े होकर।

और झूठ की ऑंखें चमक रही हैँ,

अहम से, ज़िश्त मुस्कान लिए,


क़ाज़ी बनकर,

साज़ बाज़ करते हुए,

हर फैसले को इस कद्र।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational