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Pradeepti Sharma

Romance

3  

Pradeepti Sharma

Romance

एक प्रेम ऐसा भी

एक प्रेम ऐसा भी

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201


जब देखा उस ओस की बूँद को,

खूबसूरती से अपना आकार खोते हुए,

उस पत्ते पर,

और धीरे धीरे अपना वजूद खोते हुए,

पत्ते को मृदु चमक देकर।

कैसा बलिदानी प्रेम है ये,

जो एक क्षणिक समर्पण से,

चिरकाल के लिए,

गौरवान्वित कर दे,

अपने प्रेमी को।



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