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Shelly Jain

Inspirational

5.0  

Shelly Jain

Inspirational

पहचान

पहचान

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हे अनिमेष प्रभु

तुमसे पहचान नहीं हो पाती

सांसों के तारों को कर गुम्फित

अहम भाव से बाहर नहीं आ पाती

स्वंय में स्व को बांधकर

स्वंय को खोज नहीं पाती

कर्मों के इस घेरे में


भवसागर में मेरी नाव

पार नहीं पाती

पंचतत्वों की देह मेरी

इसका मोह नहीं छोड़ पाती

तरूवर की शाख से पहचान कब होगी

हे प्रभु

जाने क्यों तुमसे पहचान नहीं हो पाती


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