अंतः पीड़ा
अंतः पीड़ा
मां मैं जब गर्भ में आई
तुमने जांच कराई
पता चला मैं कन्या हूँ
तुम उदास हो गई
माँ तब भी मैं सुन सकती तुम्हारी आवाज़
अपनी बहन की बातें
भाई नहीं आ रहा है?
पापा का क्रोध फिर लड़की
उदास तुम थीं उदास मैं भी थी
फिर तुम गईं उस सुसज्जित अस्पताल में
ज्यों-ज्यों डाक्टर का फोरसेप मुझ तक बढ़ा
मैं सिमटती गई मैं घबराई माँ तुमसे चिपकती गई
मेरे अंश को काट काट कर यूं ही फेंक दिया
मैं रोती रही तुम निश्चल पड़ी रही
मेरे टुकड़ों को बाहर घूरे में फेंक दिया गया
तुम घर चलीं गई
पिछली बार भी जब मेरा जन्म हुआ था
मुझको अफीम चटा कर मार दिया गया है
तुमसे कहा गया मरी पैदा हुई
नाले में गाड़ दिया
मेरी समाधि पर एक फूल भी ना था
कब तक और कि जन्म तक
यूं ही बिना जिए मुझे जाना होगा
तुम पाठ करती हो"या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थितः।"
और मुझे हर जन्म में मिला
शक्ति का परिचय न देने का अभिशाप
अबोध, कोमल तुम्हारा अंश हूँ माँ
उठो बनो शक्ति
मुझे जन्म दो माँ मुझे जन्म दो।