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Parul Chaturvedi

Inspirational

1.0  

Parul Chaturvedi

Inspirational

बड़ी हो गयी है कितनी

बड़ी हो गयी है कितनी

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अभी तो आयी थी गोदी में

अभी तो पहला कदम चली

अभी तो बोली थी बस ' मम्मी '

अपनी भाषा में तोतली

 

चुपचाप चली जाती है अब

आँखों में नींद भरे अपनी

दूर वो मुझसे जाते में

अब नहीं मचलती है उतनी

 

झिलमिल करती आँखें उसकी

उस पर पलकें भी घनी-घनी

ओढ़ दुपट्टा मेरा सर पे

बोली मैं दुल्हन हूँ बनी

 

आज बनी है खेल-खेल में

कल बनेगी वो दुल्हन असली

यूँ ही एक दिन आ जायेगा

जब वो छोड़ चलेगी मेरी गली

 

देख नहीं पाउँगी पल-पल

फिर मैं सूरत उसकी ये भली

टोक नहीं पाउँगी उसको

फिर बात-बात पे घड़ी-घड़ी

 

अब तक जो हर काम को अपने

मुझ पर थी निर्भर वो रही

फिर भूल जाएगी माँ को वो

रम कर अपनी दुनिया में कहीं

 

काश संजो के रख पाती

हर इस पल को अपने पास कहीं

यादों को भर लेती नैनों में

पल-पल जो मुझसे छूट रहीं

 

भाग रहा है तेज़ गति से

ये वक्त है कि रुकता ही नहीं

ले जायेगा बचपन उसका

मैं रह जाउँगी यहीं कहीं

 

पीठ पे बस्ता टाँग के अपना...


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