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Parul Chaturvedi

Inspirational

3  

Parul Chaturvedi

Inspirational

शहीद की बीवी

शहीद की बीवी

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मैं बीवी हूँ शहीद की
खुद को विधवा नहीं बुला सकती
तोड़ के चूड़ी हाथों की
शहादत को अपमान नहीं बना सकती



पोंछ सिंदूर माँग का मैं
सिर को नहीं झुका सकती
मुझको फख़्र है उनकी मौत पे, मैं
आँसू नहीं बहा सकती



अपनी सफ़ेद साड़ी को मैं
बसंती रंग रंगवा लूंगी
लाल चूड़ियाँ उतार के अब मैं
तिरंगे कड़े चढ़ा लूंगी



लाल सिंदूर के ऊपर से
केसरिया माँग सजा लूंगी
मंगल सूत्र की जगह अब उनके
मैडल सब लटका लूंगी



उनको भी तो कफन की जगह
लपेटा गया तिरंगे में
अब अपने जीवन को भी मैं
इन्हीं तीन रंग में ढालूँगी



मैंने तो शादी ही की थी
मातृभूमि के बेटे से
क्या हुआ जो बेटा चला गया
अब मैं बहू का फर्ज़ निभाऊँगी



कितनों को बेवा होने से
बचाने को जाँ दे गया है जो
उसकी बीवी होकर भी मैं
बेवा कैसे कहलाऊँगी


मैं बीवी हूँ शहीद की
खुद को विधवा नहीं बुला सकती
तोड़ के चूड़ी हाथों की
शहादत को अपमान नहीं बना सकती।।

 


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