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Lokeshwari Kashyap

Inspirational

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Lokeshwari Kashyap

Inspirational

ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी

ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी

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ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा।

भरे सावन म धरती म बरसत हे आगी संगी, बरसत हे आगी।

बरसा तो होवत नई हे मेघ उमड़ घूमड़ के भागे संगी, मेघ उमड़ घूमड़ के भागे।

ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा।


बरसा के अगोर म अन्नदाता के पथरा होगे आँखी संगी, पथरा होगे आँखी।

सब्बो खेती मुरझूरागे अउ भुइयाँ ह चररियागे संगी, भुइयाँ ह चर्रीयागे।

ये सावन जब जब आये बादर बरसे ल भुलागे संगी, बरसे ल भुलागे।

ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा।


 सावन के झड़ी नंदागे ,मेचका के टर्र - टर्र नंदागे संगी,मेचका के टर्र - टर्र नंदागे।

ये बरखा के आस म किसान ल परगे पछताना संगी, किसान ल परगे पछताना।

पडे बिपट हे अब किसान भुलागे मुस्काना संगी, किसान भुलागे मुस्काना।

ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा।


सावन चलदीस अब आगेहे भादो संगी, अब आगेहे भादो।

सावन भादो के झड़ी अब देखेल कोन पाहि संगी, देखें ल कोन पाहि।

ये धरती के कोरा जाने अब कब हरियाही संगी, जाने अब कब हरियाही।

ये बछर के सावन होगे निचट लबरा संगी, होगे निचट लबरा।


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