आदत..
आदत..
तुम पहेली या आखिरी तू नहीं मेरे लिए, लेकिन तुम्हें कभी शिकायत भी करने नहीं दिया हमने।
अफसोस है मुझे कईं बातें बतानी थी तुझे, तेरे संग कुछ ओर वक्त बितानी थी मुझे। मुझे आदत लगा तेरी प्यारी बातों का, आंखों का, और तेरी बदन की खुश्बू का, क्या तुझे सिर्फ जरुरत था मेरे रूह का।
क्या फिर कभी तू बुलायेगी, आपने पास सुलाएगी, ओर सुला के मेरे बालो को सहेलायेगी, ये ख़्वायिस कभी पूरा करोगी क्या।
यार मेरी जान बीते हुए पल के यादें कम पड़ रहा है,
सबर ने को मुझे,
कुछ वक़्त मेरे संग और बिताओगी क्या,
सयाद तू भी चाहती है मगर, कोई नई अंजान रूहू ने तुझे रोक रहा है क्या।
तेरी प्यार भरी मीठी झूठी बातों को सिर्फ सुना था मैंने, अभी समये आ गया ओ सब को बगेर तेरे महसूस करने का।
तुझे लगता है कि बिना बातें किये सब खत्म होता, कास ऐसा ही होता, सारी बातें ही खत्म हो जाता।
बातें हमारी खत्म होतीं, तुझे कोई पारसानी ही नहीं होती, अब तो तुम्हें कभी मुझसे मोहब्बत भी नहीं आती, आख़िर तुझे सिर्फ मेरा जारोरत था मगर मुझे तेरी आदत रेह गया है।

