मां
मां
घर से निकल जाने के वक्त दरवाजे पर रहती हो,
जब तक घर पर वापस ना पहुंच जाऊं,
दरवाजे पर मेरे इंतजार करती हो,
और देखते ही गले से लगाती हो,
देर होने पर डांटती हो और जिसके डांट में भी प्यार का एहसास हो,
तुम कोई और नहीं मेरी प्यारी मां हों।
एक रोटी के बदले दौ खिला देती हो,
बुखार होने पर रात भर जग के मेरे पास रहती हो,
और ठीक होने को हजारों दुआएं और मन्नतें मांगती हो,
तुम हो तो लगता है त्यौहार सा हर दिन,
जब मां घर पर हमारे साथ रहती हो।
सोचता हूं जीत लूंगा हर एक कठिनाई को,
बस मां तुम्हारे हाथ अंतिम क्षण तक मेरा साथ में हो,
और फीकी है मेरी हर एक खुशी,
जिसमें मां तुम मेरे साथ ना हो,
और वीरान हो जाती है वह घर जहां मां तुम्हारी हाथ ना हो।
