दिल और दिमाग
दिल और दिमाग
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कितनी ही किताबें पढ़ लिख ली
कितनी ही डिग्रियां हासिल की।
रिश्तों में धोखे खूब मिले
जीवन में खाई ठोकर भी।
कुछ सबक सिखाया दुनिया ने
कुछ अनुभव से भी ज्ञान बढ़ा।
अनजाने रस्तों पर चलते
यह उम्र बढ़ी और कद भी बढ़ा।
मस्तिष्क बड़ा करने को फिर
ठूंसा जो कहीं से कुछ भी मिला।
पर दिल को आज टटोला तो
भीतर छोटा बच्चा ही मिला।