अब तुम आना
अब तुम आना
अब
जब भी तुम आओ
तो अपने साथ
कोई बोझ मत लेकर आना
चले आना बस
फूल पर मंडराती
तितली की तरह
या फिर जामुन के वृक्ष पर
चहकती गौरैया की तरह
गली में क्रिकेट खेलते
बच्चों की तरह
या गज़ल की धुन में लीन
किसी संगीत प्रेमी की तरह
और हां,आते हुए
किवाड़ मत खटखटाना
और न ही आवाज़ लगाना
चले आना हो के मस्त
किसी दीवाने की तरह
और सुनो
जितनी देर रुको
घड़ी की तरफ मत देखना
और करना अंतहीन बातें
नितांत अपनी --
मेरी और तुम्हारी
और जब लौट के जाओ
तो छोड़ जाना अपनी स्मित ,
स्पंदन और व्यग्रता
और थोड़ा सा मुझे भी
अपने साथ ले जाना

