STORYMIRROR

Suman Sachdeva

Romance

3  

Suman Sachdeva

Romance

अब तुम आना

अब तुम आना

1 min
264

अब 

जब भी तुम आओ

तो अपने साथ

कोई बोझ मत लेकर आना 


चले आना बस 

फूल पर मंडराती

तितली की तरह

या फिर जामुन के वृक्ष पर

चहकती गौरैया की तरह


गली में क्रिकेट खेलते 

बच्चों की तरह 

या गज़ल की धुन में लीन

किसी संगीत प्रेमी की तरह


और हां,आते हुए 

किवाड़ मत खटखटाना

और न ही आवाज़ लगाना 

चले आना हो के मस्त 

किसी दीवाने की तरह


और सुनो 

जितनी देर रुको

घड़ी की तरफ मत देखना 

और करना अंतहीन बातें

नितांत अपनी -- 

मेरी और तुम्हारी


और जब लौट के जाओ 

तो छोड़ जाना अपनी स्मित ,

 स्पंदन और व्यग्रता

और थोड़ा सा मुझे भी

अपने साथ ले जाना 

        


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance