ख्वाब
ख्वाब
जिंदगी ख्वाब थी देखता ही रहा
मौत के सामने सोचता ही रहा
लोग मेरे गये छोड के सब मुझे
ख्वाब में आपको ढुंढता ही रहा
आज मै कौन हूं हां मुझे है पता
आपकी नजर में लापता ही रहा
खेल ही खेलमे खत्म सब हो गया
समझकर जीत मै खेलता ही रहा
बिखरकर बिखरकर आसमां रो गया
कौम बारिश उसे समझता ही रहा।
