हमने कितना कुछ सीख लिया
हमने कितना कुछ सीख लिया
गिरते पड़ते ही सही सफर में,
हमने सम्भलना सीख लिया,
इस गुजरते साल से , देखो !
हमने कितना कुछ सीख लिया।।
हां ! ये वक़्त जरा गर्दिश सा था,
कितना कुछ बंदिश सा था,
अपने अपने परों को हमने,
खुद ही साधना सीख लिया,
इस गुजरते साल से , देखो !
हमने कितना कुछ सीख लिया।।
घर लौट आने को बेबस,
कितनी आंखे तरसी थी,
एक एक निवाले के खातिर,
भूख बेरहम हो बरसी थी।
मरते मरते ही देखो हमने,
खुलकर जीना सीख लिया,
इस गुजरते साल से देखो,
हमने कितना कुछ सीख लिया।
सोचा ना था नींदों में भी,
हकीकत में वो बात हुई,
बिन मेघों के बरसी झमकर,
हर ओर ऐसी बरसात हुए।
डूब डूब कर ही, देखो!
हमने तरना सीख लिया,
इस गुजरते साल से देखो,
हमने कितना कुछ सीख लिया। ।
अलविदा होते साल में हमने,
वक्त जो साथ बिताया है,
गम छलकते गीतों को भी,
जब हँसते हँसते गाया है,
होता ना ये जो साल अगर,
ये बाते कहाँ फिर हो पाती,
कहाँ ढूंढते हम समझ अपनो की,
ये यादे कहाँ फिर बन पाती,
हाँ ! धीरे धीरे ही सही ,
हमने रिश्तों को समझना सीख लिया,
इस गुजरते साल से देखो,
हमने कितना कुछ सीख लिया।।
इस वर्ष की दहलीज लांघने ,
हमने तैयारी कर ली है,
कुछ खट्टी मिठ्ठी यादों संग,
हमने झोली भर ली है।।
अलविदा ओ! साल पुराने,
कितना कुछ सिखाया तूने,
रंग बदलते मौसम संग,
हमने भी बदलना सीख लिया,
इस गुजरते साल से देखो,
हमने कितना कुछ सीख लिया।