● सहमा सा पड़ा है कोई ●
● सहमा सा पड़ा है कोई ●


खामोशी में शोर
शोर में रुदन,
देखना तो जरा,
उस टूटी फूटी चार दिवारी के पीछे,
सहमा सा पड़ा है कोई,
चेहरे से टपकती भूख उसकी,
खाली पड़े बर्तनों में भर रहा है।।
डर रहा है वो पल पल,
कुछ इंसान जो शायद इंसान नही,
आएंगे पास उसके,
रख कर निवाला मुँह में उसके,
जमाने भर को जताएंगे,
अब शर्म उसका गला घोटेगी,
कचोटेगा उसका जमीर उसे,
उसकी हालत उसे गिरा देगी औंधे मुंह,
वो सहारा मांगेगा खड़ा होने के लिए,
पर उसे हाथ देगा कौन?
फिर एक इंसान आएगा,
निवाले पर थोड़ी इंसानियत रखेगा,
बैठेगा वो क्षण भर पास उसके,
हाथो में उसके सिर्फ शर्म होगी,
बेशर्मी के लिए कैमरा ना होगा।।