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Aman Nyati

Abstract

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Aman Nyati

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होली मैंने खेली नहीं

होली मैंने खेली नहीं

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हाँ होली है आज !

पर होली मैंने खेली नही,

पड़ी है जेब मे रंगों की पुड़िया,

जो मैंने आज खोली नही।


किसी की चाहत के रंग

को ये कम कर दे,

ये इन रंगों के बस की बात नही,

मेरे हाथों पर समा किसी के

चेहरे पर उतर जाए ,

ये इन रंगों की औकात नहीं।


हाँ होली है आज !

पर होली मैंने खेली नहीं,

पड़ी है जेब मे रंगों की पुड़िया जो

मैंने आज खोली नहीं।


होली का ये दिन भी

कुछ यूँ ढल जाएगा,

किसी के इंतज़ार में हाथों पर

लगा रंग भी सुख जाएगा,


हाथ मेरा रंगीन, चेहरा

उसका फीका रह जाएगा,

आधी रूह खेले होली,

आधी रूह को ये रास न आएगा।।


बस इसलिए होली है आज !

पर होली मैंने खेली नही,

पड़ी है जेब मे रंगों की पुड़िया,

जो मैंने आज खोली नहीं।


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