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Yashpal Singh

Romance

4  

Yashpal Singh

Romance

"बदलने लगा हूँ मैं"

"बदलने लगा हूँ मैं"

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उसे देख कर भी अनदेखा करने लगा हूँ मैं

अपनी मर्ज़ी के खिलाफ चीज़ें करने लगा हूँ मैं।


मोहब्बत तो कल भी थी आज भी है

बस उसकी चुप्पी से डरने लगा हूँ मैं।


उसकी एक मुस्कान पे सब कुछ लूटा दूँ यश

पर अब उसी से अंदर ही अंदर मरने लगा हूँ मैं।


कौन चाहेगा खुद ही खुद को ज़ख्म देना

पर अब इस दर्द को सहने लगा हूँ मैं।


तुम जो चली गयी हो तो खुश रहना

मैंने तुमको भुला दिया, ये कहने लगा हूँ मैं।


जानता हूँ की तुम्हे भूल जाना मुमकिन नहीं

पर खुद ही दिल को तसल्ली देना सीखने लगा हूँ मैं।


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