प्रीत का रंग
प्रीत का रंग
अब छूटता नहीं छुड़ाए।
रंग गया हृदय है ऐसा।
आंसू से धुला निखरता
यह रंग अनोखा कैसा।
रंग दिया सांवरिया तूने।
मोहे प्रीत रंग यह कैसा।
जितना छुड़ाऊं उतना चढ़े।
प्रीत रंग सांसो में घुला जैसा ।
शीत शरद ऋतु ग्रीष्म वसंत।
बदले मौसम रंग हजार।
सुख आएगा दुख पतझड़।
न बदले प्रियतम तेरा प्यार।
रंगा रंगरेज ने यूं दोनों को ,
जोड़ा रिश्तों का धागा कैसा।
तुम वीणा, मैं गुंजन साथी।
सुर, संगीत का रिश्ता जैसा।
जीवन में परिणय का रंग।
प्रेम को सर्वस्व अर्पण प्रिये।
भावों से बिके, रंग अनमोल ।
विश्वास का समर्पण प्रिये ।
बिरह रंग ये कैसा प्रियतम।
नैनों से सावन गिरते हैं।
क्षण भर भी अलगाव हो तुमसे।
पुष्प भी कंटक से लगते हैं ।
हृदय पुष्प सी छवि तुम्हारी।।
नित कुमुद सरोवर खिला जैसा।
अब जित देखूं ,तित दिखे तू ही।
नैनों का दृश्य संयोग यह कैसा ।
अब छूटता नहीं छुड़ाए।
रंग गया हृदय है ऐसा।
आंसू से धुला निखरता
यह रंग अनोखा कैसा।