क्यों जर्ज़र खुद को कह रहे क्यों जर्ज़र खुद को कह रहे
खुद को मज़बूत कहने वाले , अहंकारी पुरूष कभी पल भर ठहर कर सोचा है ? खुद को मज़बूत कहने वाले , अहंकारी पुरूष कभी पल भर ठहर कर सोचा है ?
जिंदगी में हर मोड़ पर खुद को मजबूत होते देखा। जिंदगी में हर मोड़ पर खुद को मजबूत होते देखा।
आग का दामन चाहे साखी तू ओढ़ना आग का दामन चाहे साखी तू ओढ़ना
रक्षाबंधन पर कविता। रक्षाबंधन पर कविता।
मुझ को भट्टी में पका कर किया, मज़बूत फिर किया मुझ पर, रंग-रोगन मुझ को भट्टी में पका कर किया, मज़बूत फिर किया मुझ पर, रंग-रोगन