डोर
डोर
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पतली सी यह डोर है,
दिलो के रिश्तों की
ना है कोई मज़हब न कोई सीमा।
है बस प्यार की डोर
इतनी मज़बूत होती है की पत्थर को भी पिगला दे
हर नयी डोर नया रिश्ता बना दे
यह बंधन है भाई ओर बहन का जिसे हम राखी कहते है।
