कृष्ण सुदामा
कृष्ण सुदामा
कृष्ण सुदामा सी दोस्ती सारे जग से न्यारी है,
भाव प्रेम में अनूठी वह सबको लगे प्यारी है,
अमीरी गरीबी की सीमाओं को मिटाती वो,
सबको लगती की काश ऐसी दोस्ती हमारी है।
कृष्ण सुदामा की तकलीफ को बिन कहे समझे,
नही कभी दोस्ती में वह सुदामा को यारों परखे,
महाराजा होने का दम्भ भी नही आया मन में,
सुन सुदामा का नाम नंगे पाँव भाव प्रेम में दौड़े।
बचपन की मित्रता को मन से नही कभी भुलाया,
बरसों बाद मिलकर भी प्रेम वैसा ही है पाया,
एक दूजे का मन में ख्याल परवाह सम्मान रहा,
दोस्ती का फर्ज दोनो ही मिलकर दिल से निभाया।
दोस्ती में कृष्ण सुदामा की सदा मिसाल दी जाती,
अनकही दिल की दिल से सदा ही कही जाती,
मित्रता के बंधन को सब मिलकर सदा निभाये,
सुदामा कृष्ण सी मित्रता को दिल से अपनाए।