नव वर्ष का अभिनंदन
नव वर्ष का अभिनंदन
नव वर्ष का यह आगमन शुभ हो, खुशी लाए
नए सपने, नई खुशियां, नए संदेश भी लाए
धरा पर घर ना हो कच्चे, रोशनी में जगमगाएं
स्वच्छ नीर सबको मिले, कोई भूखा ना रह जाए
थमें तरंगिणी की खुदाई, न हो ऋतुओं में ठनगन
अरण्य की रुक सके कटाई, हो प्रकृति में संतुलन
अंबर रहे धुआं रहित, वसुंधरा सजे हरियाली से
विपदा टले बाढ़- सूखे की, जीव जी सकें शान से
अपनापन मिल सके उन्हें, चमन की नन्ही कलियां जो
महकेंगे फिर इस धरा को ही सुगंधित करेंगे वो
इस दुनिया में आने से, ना रोका जाए फिर उसको
खुले गगन में पंख फैला दिखा सकेगी वो सबको
फिर ना कोई दामिनी, ना निर्भया बन सके यहां
नारी के अस्तित्व को सच्चा मान मिल सके यहां
ठोकर ना खानी पड़े, अपने हक़ के लिए यहां
फर्ज ना अपना भूल सकें, चुनकर के जो गए वहां
देश की आर्थिक खाई की, गहराई ना फिर बढ़ सके
सब साथ आगे चल सके, यह राष्ट्र उन्नति कर सके
मानवता पर फिर ना कोई महामारी हावी हो सके
विज्ञान के प्रभाव से, फिर मानवता विजयी हो सके
मगर सदैव सजग रहना तनिक हे राष्ट्र के प्रहरी
चमन में वक्त से पहले कहीं ना फूल मुरझाए कोई
नई रौशनी, नया सवेरा, नई उम्मीद ले आए,
नव वर्ष का यह आगमन शुभ हो खुशी लाए ।