बचपन
बचपन
एक प्यारा मासूम सा चेहरा,
आंखों में शरारत बसता गहरा,
चंचल तुतलाती बोली वो,
सबके खुशियों की झोली वो,
बचपन ऐसा ही होता है ।
ना किसी काम की चिंता हो,
ना किसी बात का डर,
घूमें-फिरे कहीं भी जाएं,
पूरी दुनिया लगे खुद का घर,
बचपन ऐसा ही होता है ।
बात- बात पर गुुस्सा करना ,
बात- बात पर लड़ना-रोना,
पल भर में सबकुछ भुलाकर,
फिर से इनमें हैं रम जाना ,
बचपन ऐसा ही होता है ।
पर अफ़सोस ! इसी का है,
यह बचपन छोटा होता है,
जीवन का सबसे प्यारा वक्त,
बचपन ही तो होता है,
बचपन ऐसा ही होता है ।।
