विनाश का अट्टहास
विनाश का अट्टहास
जहाँ कहीं बुद्धि विवेक
का मद्धिम पड़े प्रकाश
वहाँ अवश्य हुआ करता
है विनाश का अट्टहास
दैव व्यवस्था का जब कहीं
मनु करने लगता तिरस्कार
वहाँ यकायक प्रकृति स्वयं
मचाने लगती है हाहाकार
विधि ने रचकर विधान दिया
जीयो औ जीने देने का संदेश
जो भी करे इसमें अतिक्रमण
वो न्यौते विनाश और क्लेश
सुमति बनाती रहती जीवन में
सफलताओं के अनेक सोपान
कुमति सदा दिया करती विविध
विनाशकारी कर्मों में अवदान
प्रभु में रखकर आस्था मांगिए
सदा विवेक का ही वरदान
तभी सचमुच में हो सकेगा खुद
आप और जगत का कल्याण।
