STORYMIRROR

pramod sharma

Tragedy

4  

pramod sharma

Tragedy

दर्द

दर्द

1 min
264

मैं बहुत दूर हूं, न जाने क्यूं मजबूर हूं।

आना तो चाहता हूं पास तेरे, पर दर्दे मगरुर हूं।


तेरी मासूमियत से भरी निगाह सवाल करती हैं मुझसे,

यकीनन मैं तेरा अपराधी जरूर हूं।


काश... मिल जाए कोई बहाना मुझे पास तेरे आने का,

गम भूल जाना चाहता जरूर हूं।


Rate this content
Log in

More hindi poem from pramod sharma

Similar hindi poem from Tragedy