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Md Faizan Raza Adil

Romance Tragedy

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Md Faizan Raza Adil

Romance Tragedy

जख्म

जख्म

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क्या किस सुनाऊँ अपनी मोहब्बत के,

 इश्क करने चला था, नफ़रत कर बैठा हूँ। 

उसने मांगी थी रोशनी, मैं खुद को जला बैठा हूँ। 


ज़िंदगी के सफ़र में ,मौत से पहले आ पड़ी है मौत। 

मैं मरहम की तलाश में, ज़ख्म ले बैठा हूं। 


खुशनुमा सा मैं, उसे मांगी थी दो पल की खुशी। 

मैं नादान, अपनी हांसी दे बैठा हूं। 


उसे पाने की कोशिश में खुद को खो बैठा हूं। 

मुस्तक़िल बोलता ही रहता था मैं, खामोशी ले बैठा हूं।


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