ख्याल तुम्हारे!
ख्याल तुम्हारे!
मेरा सारा दिन गुजर जाता है, खुद को समेटने में,
के यादों में तुम्हारी अक्सर, रातों को बिखर जाता हूं मैं।
मुझे खुद का ख्याल नहीं, तुम्हारे ख्यालों में किधर किधर जाता हूं मैं।
खुदा को भी शायद पसंद है मेरा टूटना,
तुम्हारी यादों में, अक्सर सजदे कर जाता हूं मैं।
बेशक तुम्हारी कहानियां में ज़िक्र नहीं अब मेरा,
मेरे हर पन्नों में तुम्हारा ज़िक्र कर जाता हूँ।