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Agam Murari

Romance Fantasy Inspirational

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Agam Murari

Romance Fantasy Inspirational

तुम अब भी मुझे याद करती होगी

तुम अब भी मुझे याद करती होगी

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352


मुझे आती हैं दिन-रात हिचकियां

तुम अब भी मुझे याद करती होगी।


सुर्ख पत्ते शाखा से टूट गया

बिछड़न का हाल क्या पेड़ बताएं

तेरी खोज में कहां-कहां न भटका

इस का हाल मेरा पैर बताएं,

मुझे छोड़ कर भी तुम मेरे नाम से

खुद में सजती होगी, सवरती होगी

मुझे आती हैं दिन-रात हिचकियां

तुम अब भी मुझे याद करती होगी।


पूर्ण सम्पूर्ण खुदको तुम्हे सौप दिया

क्या किसी को दिल का हाल बताएं

मिलन का वो अाखरी बारिश

सोच में रो रो कर कई साल बिताएं,

मेरे जैसे तुम भी अश्कों से

अपनी नैनों को भरती होगी

मुझे आती हैं दिन-रात हिचकियां

तुम अब भी मुझे याद करती होगी ।


कैसे बतलाऊं क्या-क्या करता हूं

कल-कल, तत्कल तुम्हे याद करता हूं

छान मार आया हर दिशा, तू मिली नही

विरह की अग्नि में पल-पल जलता हूं,

मेरे प्रेम का गला घोट कर, तुम भी

मेरे स्मरण में गल्ती होगी, गर्जती होगी

मुझे आती हैं दिन-रात हिचकियां

तुम अब भी मुझे याद करती होगी।


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