ग़ज़ल
ग़ज़ल
अपनी आंखों को मेरी आंखों से मिलाया ना कीजिए
कमर पे बनी टेट्टो को सरेआम दिखाया ना कीजिए।
यूं जुल्फों की लट गिराकर रखती हो,हसीं लगती हो
पहर दो पहर जेहन में आकर तड़पाया ना कीजिए।
लबों के उपर ये तिल ही दीवानों का जान ले लेती है
ऐवी माथे पर खोपा बांध, और तरसाया ना कीजिए।
कुछ तो रहम खाइए अपने आशिक़ अनुरागी पर
रोज़ ख्वाबों में आ ‘ अगम ’ को सताया ना कीजिए।