और वजह कुछ ना था...
और वजह कुछ ना था...
बस तुम थे इस जिंदगी में
बस और ख्वाहिश कुछ न थी,
बस हँसी थी तुम्हारी इन होंठों पर
शिकायत दिल मैं कुछ न थी ...
सुबह की खिलती किरणें
और सरगोशी दिल में थी,
चमकती ख्वाहिश थी मन के इशारों में
तुम्हारे दिल मैं बस रहना था...
गजब की शाम थी बांहों में तेरी
पलकों में तेरी मुझे रहना था,
इठलाना, शरमाना तुझे कैद करने की
मेरे दिल में छोटी सी जगह थी....
पल दो पल की तेरी खुशबू
प्यार में मुझे लुटाया था,
आधी बनेगी कहानी हमारी
ये मैंने कभी न जाना था....
वक़्त का पहिया ऐसे चलेगा
मैंने कभी न सोचा था,
सावन के बाद पतझड़ का आना
ये तुझे न मुझे पता था...
बहुत कर ली मोहब्बत हमने
सपने मैं हमने न सोचा था,
तू मिले या न मिले ग़म नहीं मुझको
तुझे प्यार करना ही काफ़ी था...
न जाने तुम क्या थे सच मैं
खुशबू या सुनहरा सपना था,
मेरे लिए बस तुम थी जिंदगी
और जीने की वजह कुछ न थी,
और जीने की वजह कुछ न थी....
