तो जिंदा हूँ.... मैं
तो जिंदा हूँ.... मैं
गुमसुम इश्क़...
नग्न आंखों में
दिन के साये में...
तपती धूप में...
रात की शीतलता में
अगर हो तुम...
तो जिंदा हूँ मैं....
बरसात की बूंदों में
टपकते पानी की गूंज में
उठी ठंडक में...
पत्तों पर बिछी बर्फ़ीली
ओस की बूंदों में
तुम और तुम्हारी छाया...
और मेरे विचारों में...
अगर हो तुम...
तो जिंदा हूँ मैं....
पत्थर के कण-कण में
बाढ़ की हलचल में...
मिट्टी की सुगंध में...
प्रकृति की गंध में...
अगर हो तुम...
तो जिंदा हूँ मैं....
जंगल के मधुर संगीत में
कोयल की कुहू में
सूखे पत्तों की सिसक में
अगर हो तुम...
तो जिंदा हूँ मैं....