पीकर जीना
पीकर जीना
पीकर जीना, जीकर पीना
ये शराब तुम्हारी कभी कद्र नहीं करती।
असली ज़िंदगी वही है
जो कभी हारकर भी सब्र नहीं करती।
छोड़ दो ऐसे मैयकश और साकी को
जो लेती है जान पर ज़िंदगी नहीं भरती।
असली नशा तो वही है
जो बनाती है इंसान और शमशान नहीं करती।
पीकर जीना, जीकर पीना
ये शराब तुम्हारी कभी कद्र नहीं करती।
शिकायतें रखों और शिकवे मिटा दो
ऐसी नाकामी भी क्या जो कुछ हासिल नहीं करती
असली मंज़िल तो वो ही है
जो मुसाफिर को कभी बेसफर नहीं करती।
पीकर जीना, जीकर पीना
ये शराब तुम्हारी कभी कद्र नहीं करती।