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Kanchan Prabha

Romance Fantasy

4.8  

Kanchan Prabha

Romance Fantasy

दबी सी खुशी

दबी सी खुशी

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ऐ बैरी चाँद छुप जा तू आकाश में 

क्या बिसात तेरी चाँदनी की


मेरी आँखों की चमक से ही

राहें रौशन हुई जाती है


वो आयेंगे कभी ये सोच कर 

दबी दबी सी खुशी आती है


खिंची खिंची सी जिन्दगी

रुक रुक कर चली जाती है


वो आयेंगे कभी ये सोच कर 

दबी दबी सी खुशी आती है


धुंधले से इस धूप की

धड़कनों में क्या रखा है


उनके आने की आहट से ही

हर कली खिली सी जाती है


वो आयेंगे कभी ये सोच कर 

दबी दबी सी खुशी आती है


फीका है इस शाम का नशा

फीकी है इस रात की खुमारी


उनके कदमों की आहट से ही

मुझको मदहोशी छाती है


वो आयेंगे कभी ये सोच कर 

दबी दबी सी खुशी आती है


खिंची खिंची सी जिन्दगी

रुक रुक कर चली जाती है


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