वो गुज़रा हुआ जमाना
वो गुज़रा हुआ जमाना
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इक जमाना हुआ मुस्कुराये
अपने दिल की किसी को सुनाये
सूखे-दूखे ये बोझिल नयन हैं
मुद्दतों से न सपने सजाये। 1
अब न जाने कहाँ खो गयी हैं
कौन से मोड़ पर सो गयी हैं
दौर गुमशुदगी का चला है
हसरतें लापता हो गयी हैं ।
यूं ही फक्कड़ हँसी जो हसी थी
आज आती नहीं है बुलाये
इक जमाना हुआ मुस्कुराये
अपने दिल की किसी को सुनाये। 2
पीत पातों से पतझर झरा है
नभ पे काली घटा छा गयी है
सौंधी मिट्टी की खुशबू उड़ी है
याद गाँव के संग ला रही है ।
जिन पे झोंटे कभी झूलते थे
बाग में फिर वो झूले न आये
इक जमाना हुआ मुस्कुराये
अपने दिल की किसी को सुनाये।3
प्यार करने का मौसम नहीं है
उसको खोने का भी ग़म नहीं है
काम की सिर्फ मश्रुफियत है
अब खुमारी का आलम नहीं है।
उसकी आँखो में जो खो गये थे
लम्हे अब तक नही ढूंढ पाये
इक जमाना हुआ मुस्कुराये
अपने दिल की किसी को सुनाये। 4