बात गांव की
बात गांव की


बात गाँव की जब यार मेरे चली
सांसें महकी जो गुजरा मैं तेरी गली। 1
सुबह गाँव की मेरे बहुत शोख़ थी
तुम मिले शाम थोड़ी हुई मनचली। 2
छत पे आना तेरा बाल खोले हुए
थी खिली धूप, सुरमई छटा हो चली। 3
तुम से इक़रार की जीत या हार की
चाह ऐसी बनी कि व्यथा हो चली। 4
चंद कदमों की दूरी पे कहने को था
तेरा घर न मिला मैं मीलों चला । 5
बात गाँव की जब यार मेरे चली
सांसे महकी जो गुजरा मैं तेरी गली ।।