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Pankaj यायावर

Romance

4.6  

Pankaj यायावर

Romance

तुम ही थे

तुम ही थे

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मधुबन में उस मधुर रात में

साथ हमारे तुम ही थे

हम तो थे पूरे दीवाने 

कुछ मस्ताने तुम भी थे।


में तो इक मयकश था लेकिन

मेरे साकी तुम ही थे

होंटो तक मय आयी क्यूंकि

मेरे प्याले तुम ही थे। 

  

ग्रीष्म रात्रि में भीनी भीनी

महकी बेला तुम ही थे

जाड़ों की वो मीठी मीठी

नर्म दुपहरी तुम ही थे।


अलसायी पलकों में आये

स्वपन सुहाने तुम ही थे

कठिन समय मे व्यथित हृदय को

राह दिखाई तुम ही थे।


छुटपन की वो अल्हड़ मस्ती

खेल तमाशा तुम ही थे

यौवन में जो जग कर काटीं

लम्बी रातें तुम ही थे।


तेरा आना ऋतु सावन की 

जाना पतझड़ तुम ही थे

तेरी यादों में जो बरसे

काले बादल तुम ही थे।



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