कोई तो है
कोई तो है
अनजान सी एक छुअन
जो महसूस होती है
मुझे अक्सर रात के अंधेरों में,
है कोइ जो कुछ कहना चाहता है
अकेले में अक्सर महसूस करती हूँ उसको
डरती हू कभी, संभालती हूँ कभी।
नहीं ये कोई वहम है मेरा
पर जब वो मुझे रोकना चाहता है रोक लेता है,
अपनी बाहों में मुझे घेर लेता है
कितना भी में तड़प लूँ।
चाहे चीख लूँ कोई नहीं मेरी आवाज को सुनता है
कैसे मैं बताऊँ किसी को किस हाल में हूँ मैं,
क्यूँकि हर वक़त,
हर जगह वो साथ मेरे चलता है।