किस्मत
किस्मत
कोरोना कहर
मेरी ही नहीं
सबकी आजकल
किस्मत बदली।
सुबह से शाम
घर में ही बंद
मन की करने को
मिले न पल चंद।
सुबह से सोच
किस्मत पर अड़ी
लिखने को मुझे
मिली न दो घड़ी।
हिम्मत नहीं हारी
मन में रच डाली
बार बार उचारी
अब पन्ने पर उतारी।
अनुभव की अनुभूति
गर पानी सफलता
बदलनी किस्मत
तो कदम बढ़ा।
श्रम के सोपान चढ़
मंजिल जरूर मिलेगी
मेरी तरह अंतत:
कर दी भावाभिव्यक्ति।
