तुम चिंता नहीं करना
तुम चिंता नहीं करना
उड़ान, से पहले ही क्यूं कतर दिये तूने पर मेरे
अभी तो उड़ना बादलो पे मैंने सीखा भी नहीं
कुछ सवाल जो उठे है मन में मेरे...
उन सवालों को मैने अभी पूछा भी नहीं
एक इशारे से क्यू सब मुझको चुप करा देते
अभी तो जुबा ने मेरी कुछ बोलना सीखा भी नहीं
आँखों मे जो एक चमक होती है क्यूं देखते है
सब उसको नफरत से, अभी तो आँखों ने मेरी कोई सपना देखा भी नहीं...
जब से हुई हूॅं मै बड़ी बाबा
तूने मुस्कुरा के मुझे देखा भी नहीं
सुनते हो जब कोई बुरा फ़साना
तब नाराज़ सब पे होते हो
जागते हो सारी रातें, घुट जाते हो खुद में ही
जानती हूॅं परेशान हो मेरी खातिर
चाहती हूॅं बोल दू तुमको जैसे रखोगे
ख़ुश रहूंगी मै, बस तुम चिंता नहीं करना
अपने पंखो को कह दूंगी अलविदा मै...